श्रद्धेय हरिठाकुर का आशीष

श्री परदेशीराम वर्मा प्रदेश के साहित्यकारों में एक जाना-पहचाना नाम है । वे हिन्दी तथा छत्तीसगढ़ी के प्रख्यात लेखक हैं । छत्तीसगढ़ के लोक साहित्य और लोक कला में उनकी गहरी रूचि है । उनकी गणना साक्षरता अभियान के पुरोधाआें में होती है । छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन में उनके लेखन ने वैचारिक धरातल के निर्माण में बड़ा सहयोग प्रदान किया है । बिना वैचारिक और सैद्धांतिक धरातल के कोई भी आन्दोलन जन-आन्दोलन नहीं बन सकता ।
     श्री परदेशी राम वर्मा मूलत: कथाकार हैं । किन्तु, निबंध लेखन में भी उनका ऊँचा स्थान है । जीवनी तथा संस्मरण साहित्य सृजन की दिशा में उन्होने स्तुत्य प्रयास किया है । पंथी नृत्य की पहचान को विश्वस्तर पर स्थापित करने वाले मूर्धन्य कलाकार श्री देवदास बंजारे के जीवन परिचय को उन्होने अपने ग्रंथ आरूग फूल में जिस आत्मीय और रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है, वह इस तथ्य का प्रमाण है ।
     अपने लोग श्रृंखला की उनकी किताबें बेहद महत्वपूर्ण हंै । छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान और पौरूष को जागृत करने के लिये जरूरी है कि हम अपनी लेखनी से यह सिद्ध कर दिखायें कि छत्तीसगढ़  के साहित्य, संस्कृति और कला के क्षेत्र में जो अपना जीवन बना रहे हैं, उनका रचनात्मक योगदान देश में किसी से कम नहीं है ।
     लेखक ने मर्मस्पर्शी चित्रण १दाई२ का किया है । छत्तीसगढ़ की असली बेटी जब दाई बनती है, तब ऐसी ही दाई बनती है । ऐसी दाई नहीं बनती तो परदेसी राम भी पैदा नहीं होते । माँ केवल मां नहीं होती । वह प्रथम गुरू होती है । वह केवल जीवन ही नहीं देती, जीवन का आदर्श भी देती है, संस्कार भी देती है, जीवन-दर्शन भी देती है । छत्तीसगढ़ की इन नारियों में करूणा, ममता, उदारता के साथ-साथ अदम्य पौरूष के भी दर्शन होते हैं । परदेशी राम की दाई में लक्ष्मी, दुर्गा और सरस्वती तीनों रूपों के दर्शन होते हंै ।
     श्री परदेसी राम वर्मा की भाषा को लेकर मैं अत्यन्त उल्लसित और उत्साहित  हँू । भाषा के प्रति उनका जो छत्तीसगढ़ीपन है, वह मुझे उछाल देता है । भाषा को पढ़कर पाठक को लगना चाहिये कि लेखक और कोई नहीं, छत्तीसगढ़ का माटी पुत्र है । जो सुगंध छत्तीसगढ़ की माटी में है, वह लेखक की भाषा में भी हो तो पढ़ने में बड़ा सुख मिलता है । परदेसीराम की यह शैलीगत विशेषता है जिसके लिये वे बधाई के पात्र हैं ।
     आज का साहित्य आने वाले कल का इतिहास है । अत: लेखकों पर दोहरा दायित्व है । मुझे प्रसन्नता है कि श्री वर्मा यह दायित्व बखूबी निभा रहे हैं । मैं उनके यशस्वी भविष्य की कामना करता  हँू ।
     

2 comments:

Unknown said...

आवा का शाब्दिक अर्थ क्या है

Omprakash said...

आवा का शाब्दिक अर्थ क्या है

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